यह कहानी है निर्मल की जो की एक बिजनेसमैन का बेटा है उसकी पढ़ाई विदेश में हुई है और वहां अभी कुछ दिनों पहले अपने माता-पिता की एनिवर्सरी पर घर आया हुआ था इसी बीच उनके यहां रिलेटिव में एक शादी थी उसे दिन उसके पापा एक मीटिंग में व्यस्त है तो उन्होंने निर्मल को कहा कि बेटा तू अपनी मम्मी के साथ अंकल के यहां शादी है वहां जाकर आ जाना तो निर्मल बोलता है ठीक है पापा मैं जाकर आ जाऊंगा
निर्मल जो वहां जाता है तो वहां उसकी मुलाकात एक लड़की से होती है उसका नाम पूजा होता है जो की दुल्हन की बहन थी निर्मल उसे देखते ही पसंद करने लगता है मानो जैसे पहली नजर का प्यार हो निर्मल को वहां बहुत ज्यादा पसंद आती है और वहां पूरी शादी में बस उसको ही देखता रहता है फिर यहां सब चीज निर्मल की मम्मी भी देखती है फिर फिर निर्मल की मम्मी निर्मल के पास आती है और पूछती है कि बेटा क्या तुम्हें यह लड़की पसंद है तो निर्मल कहता है की मम्मी मुझे यह लड़की बहुत पसंद है
निर्मल की मम्मी निर्मल से कहती है कि बेटा अगर तुझे लड़की पसंद है तो तू उसे जाकर अपने दिल की बात बता दे कुछ देर निर्मल सोचने के बाद पूजा से बात करने के लिए राजी हो जाता है फिर वह पूजा के पास जाता है और कहता है कि मुझे आप पसंद हो रिश्तेदार होने की वजह से पूजा निर्मल को पहले से जानती थी तो इसीलिए पूजा मना नहीं करती है
इस तरह दोनों की आपस में बातें स्टार्ट होती है और धीरे-धीरे यह बातें बढ़ती जाती है और दोनों को एक दूसरे से बातें करना अच्छा लगता है और ऐसा करते-करते दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं
फिर दोनों एक अपने-अपने घर पर शादी की बात करते हैं फिर उन दोनों के घरवाले दोनों की शादी के लिए राजी हो जाते हैं बस फिर क्या था दोनों एक दूसरे से शादी कर लेते हैं और फिर एक साथ रहते हैं और फिर कुछ समय बाद उनकी एक प्यारी सी लड़की होती है जिसका नाम वह है अपनी मां के नाम पर रखते हैं जिसने उन दोनों को मिलाया था और इसी के साथ इस प्यारी सी कहानी का अंत होता है
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